Thursday, January 6, 2011

प्याज खाने के और, दिखाने के और .

आपने कभी न कभी प्याज देखे तो होंगे. देखे क्या खाए भी होंगे. क्यूँ सच में खाए है ना?
क्या कहा' "हाँ",
अरे वह आप तो बड़े आदमी लगते हैं. कुछ साल बाद ये प्रश्न हर आम आदमी की जुबान पर  होगा. हो सकता है ये नौबत कुछ जल्दी आ जाये.

आप के मन में ये सवाल तो होगा पर जवाब किसके पास है?
कुछ  नेताओं से पूछेंगे तो जवाब कुछ यूँ मिलेगा-
कांग्रेस- बी जे पी शासित प्रदेशो के मुख्यमंत्री से पूछो.
बी जे पी - प्याज की कीमत बढनें के लिए कांग्रेस की सरकार जिम्मेदार है.

लेफ्ट - प्याज के कीमतों मेंउछाल के लिए अमेरिका औरउसकी नीतियां जिम्मेदार हैं.
राजद-देखिये इ जाऊ पियाज है इ का खाना ही नाही चहिये . बुडबक

अगर मुझसे पूछेंगे तो मैं कहूँगा- सरकारी तंत्र की विफलता
खैर  ये तो बहुत ही राजनीतिक सा उत्तर लग रहा होगा आप सबको. इसलिए आम आदमी की भाषा में कहे तो हमारी लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है बाज़ार पर. क्योंकि  अफसरशाही तो घूस खा कर अपने दायित्वों की इतिश्री  कर लेती है, दैनिक उपयोग की वस्तुओं के दाम जब चाहे तब बढ़ जाते है  इसका नियंत्रण करने के लिए जो विभाग बनाये गए है उनका वास्तविक परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है  उनका एक मात्र ध्येय अपने मंत्रालय को समय पर भेंट चढ़ाने  पर ही लगा रहता है...
और गरीब सिर्फ बाज़ार में प्याज देख कर वापिस घर आ जाता है  अगर कोई पूछे तो कहता है कि प्याज खाने के और...

Friday, December 31, 2010

डायन

"महंगाई डायन खाए जात है"
अरे सुना आपने एक और नया साल आ गया है हैप्पी न्यू  इयर की गूंज बहुत दिनों तक मोबाइल, फेसबुक, ट्विट्टर और ईमेल पर गूंजती रहेगी पर यह तो कोई बताये भला कि  न्यू इयर में कैलेंडर के सिवाय नया क्या होता है आम इन्सान की ज़िन्दगी में? क्या कोई ज़वाब है? फिर वही बाज़ार, वही घोटाले  और वही डायन, कुछ याद आया... आम आदमी के साथ कांग्रेस का नहीं डायन का हाथ.

लो भाई अबकी बार एक नहीं दो नहीं पूरे चार इक्के साथ आ गये. इस महंगाई ने जो रिकॉर्ड बनाये उसे तो सचिन भी नहीं तोड़ पाएंगे 

तो ये रिकॉर्ड चार इक्के (1.1.11) तोड़ पाएंगे, ये यक्ष प्रशन बन गया है क्या? आज हर आम आदमी के लिए